बड़ी खबर: गरीबों के बच्चों से छीना गया स्कूल, अमीरों का 17 लाख करोड़ माफ!

बड़ी खबर: गरीबों के बच्चों से छीना गया स्कूल, अमीरों का 17 लाख करोड़ माफ! 

देश में एक तरफ शिक्षा के मंदिरों को ताले लग रहे हैं, तो दूसरी ओर अरबों-खरबों के कर्जदार पूंजीपति आराम से चैन की नींद सो रहे हैं।

सरकारी आंकड़ों और रिपोर्ट्स के अनुसार, देश के कुछ चुनिंदा खरबपति उद्योगपतियों का करीब 17 लाख करोड़ रुपये का कर्ज माफ कर दिया गया है — वो भी जनता के पैसे से। वहीं दूसरी तरफ, गरीब तबके के बच्चों के स्कूलों पर ताले पड़ रहे हैं, शिक्षकों की कमी है, और कई राज्यों में स्कूल बंद कर दिए गए हैं या निजी हाथों में सौंपे जा रहे हैं।

यह कैसा विकास?

झुग्गियों में रहने वाले लाखों बच्चों के पास अब न किताब है, न क्लास।

सरकारी सहायता से चलने वाले सैकड़ों स्कूल बंद कर दिए गए या एक में मिला दिए गए।

दूसरी तरफ, 5 से 10 बड़े उद्योगपतियों को बैंकों का कर्ज "एनपीए" घोषित कर माफ कर दिया गया।


सवाल यह है:

क्या इस देश में गरीब होना अपराध है? क्या शिक्षा केवल अमीरों का अधिकार बन चुकी है?

शायद यही वजह है कि बच्चे किताबें छोड़कर काम पर जा रहे हैं, और जिनके नाम हजारों करोड़ की धोखाधड़ी में हैं — वे बिज़नेस समिट में सम्मानित हो रहे हैं।

देश की जनता यह सवाल कर रही है:

> "स्कूल के लिए पैसा नहीं, पर अमीरों की जेब भरने के लिए खज़ाना खाली कर दिया?"



अब वक्त है कि इस दोहरे रवैये पर सवाल उठे।

📢 यह कोई स्क्रिप्ट नहीं — आपके देश की सच्ची तस्वीर है।

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